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पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, सिद्धान्ताचार्य जैन धर्म व दर्शन के मूर्धन्य एवं अधिकारिक विद्वान, प्रबुद्ध चिन्तक एवं विचारक तथा ओजस्वी वक्ता। जन्म-कार्तिक शुक्ल द्वादशी, सवत् 1960, नहटौर जिला बिजनौर । श्री स्याद्वाद महाविद्यालय वाराणसी में अध्ययन और सन् 1927 से उसी में अध्यापन । महाविद्यालय के अनेक वर्षों तक प्राचार्य रहे; वर्तमान में सेवानिवृत । प्रकाशित कृतियाँ-जैनधर्म, जैन साहित्य का इतिहास (3 भाग), भ. ऋषभदेव, नमस्कार मंत्र, न्याय कुमुदचन्द्र (प्रथम भाग) की प्रस्तावना, जैन न्याय, दक्षिण भारत में जैनधर्म । अनूदित तथा सम्पादित-उपासकाध्ययन, कुन्दकुन्द प्राभूत सग्रह, तत्वार्थ सूत्र, सत्प्ररूपणा सूत्र, स्वामी कीर्तिकेयानुप्रो, नयचक्र । सम्पादक-जीवराज ग्रन्थमाला, शोलापुर तथा मूतिदेवी ग्रन्थमाला, भार. तीय ज्ञानपीठ; जैन सन्देश । भूतपूर्व अध्यक्ष, भा. दि. जैन विद्वत्परिषद् । मंत्री-साहित्य विभाग, भा. दि. जैन संघ। सदस्य..- परामर्श समिति, भारतीय ज्ञानपीठ। सम्पर्क-स्याद्वाद महाविद्यालय, भदैनी, वाराणमी (उ. प्र)।
डा. कस्तूरचन्द्र कासलीवाल
एम. ए., पो-एच. डी., शास्त्री । प्रतिष्ठित साहित्यकार एव इतिहास कार; इतिहास रत्न एवं विद्यावारिधि की उपाधि द्वारा अलंकृत । गत 30 वर्षों से साहित्यिक जगत की सेवा में रत । अनेकों शोधपत्र, निबन्ध, लेख व लगभग 20 पुस्तकें प्रकाशित । प्रमुख कृतियाँ- राजस्थान के जैन संत, व्यक्तित्व एवं कृतित्व" (पुरस्कृत , महाकवि दौलतराय कासलीवालव्यक्तित्व एवं कृतित्व" (पुरस्कृत), राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की ग्रंथ सुची (5 भाग) का सम्पादन । निर्देशक-साहित्य शोध विभाग, श्री अतिशय क्षेत्र महावीरजी। जैन दर्शन तथा इतिहास के विभिन्न विषयों पर सतत् शोधकार्य में रत। सम्पर्क-साहित्य शोध विभाग, महावीर भवन, सवाई मानसिंह हाईवे, जयपूर ।
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