SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 399
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जीवनदर्शन सम्बन्धी शोध-ग्रन्थ है। लेखक मूनि नथमल- पहलुओं को छुआ है। उनकी रचनाएं कहीं-कहीं हृदय जी ने अद्धमागधी आगम ग्रन्थों एवं उनके टीका ग्रन्थों को स्पर्श कर लेती हैं और मानवता की रस वर्षा करती में उपलब्ध, चर्चित एतं अचचित प्रायः सभी सन्दमों में हैं। निश्चय ही श्री शशिजी का यह काव्य संग्रह श्रेष्ठ इस ग्रन्थ का संयोजन करने का प्रयास किया है। उन्मुक्त एव अनूठी कृति है। विचारक अमर मुनि के शब्दों में "यह भगवान महावीर का प्रथम मानवीय चित्रण है ।" अन्धकार में छिपे अनेक स्त्रोतों का यह विवेचन आह्लादक ही नहीं है, वरन् "खराद"अनेक नए तथ्यों को उद्घाटित भी करता है। रचियता -- कल्याण कुमार जैन "शशि" । प्रकाशक भाषा शैली की दृष्टि से प्रस्तुत ग्रन्थ इतना सुन्दर " -बाबू आनन्द कुमार जैन संस्थान, रामपुर । मूल्य बन पड़ा है कि, ऐसा प्रतीत होता है, मानो वर्तमान तीन रुपया। अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय रूपरेखा महावीरकालीन हो। ऐसे प्रसंगों में असंग्रह का वातायन, अभय का आलोकन प्रस्तुत पुस्तक में कवि ने अपनी सशक्त काव्यशक्ति आदिवासियों के बीच प्रगति के संकेत, नारी का बन्ध का परिचय देकर मुक्तकों के माध्यम से मानवजीवन विमोचन, सेवा, जातिवाद, जनभाषा, जनता के लिये, के विभिन्न पक्षों को कसौटी पर कसा है। "शशि" जी सहअस्तित्व, समन्वय की दिशा का उद्घाटन, सर्वजन- का प्रस्तुत संग्रह पाठकों को दृढ़तापूर्वक कार्य करने की हिताय-सर्वजन सुखाय आदि प्रकरण पठनीय एवं विचार- प्रेरणा प्रदान करने में मिश्चित ही पूर्ण रूप से सफल णीय हैं । तीर्थकर की माता के सत्रह स्वप्नों (पृ. हुआ है। सं० 2-3) का विचार अति नवीन है। चरित्र, इतिहास, संस्कृत, भूगोल, दर्शन, आचार सिद्धान्त एवं आध्यात्म का अद्भुत संयोजन एवं पडित चैनसुखदास न्यायतीर्थ स्मृति ग्रन्थ . औपन्यासिक शैली में प्रस्तुत यह चरित्र ग्रन्थ सभी क्षेत्रों में समादर प्राप्त करेगा, ऐसी आशा है। प्रबन्ध सम्पादक श्री ज्ञानचन्द्र बिन्दूका । सम्पादक-सर्वश्री पं. मिलापचन्द्र शास्त्री, डा. कमल चन्द्र सोगाणी डा. कस्तूरचन्द्र कासलीवाल । प्रकाशककलम साहित्य शोध, विभाग, श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी प्रबन्ध कारिणी समिति, सवाई मानसिंह रचियता-कल्याण कुमार जैन 'शशि"। प्रकाशक हाईवे, जयपुर। मूल्य-चालीस रुपया। -बाबू आनन्द कुमार जैन संस्थान, रामपुर। मूल्यतीन रुपया। श्री महावीरजी, जैन दर्शन के मनीषी प्रकांड विद्धान पंडित चैनसुखदासजी की साधना-स्थली रही है। उनकी "कलम" आशुकवि श्री कल्याण कुमार जैन "शशि" स्मति में क्षेत्र के साहित्य शोध विभोग द्वारा स्मृति ग्रन्थ का कार्य संग्रह है। कलमकार ने अपनी सशक्त कलम प्रकाशित कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है। जैन से सर्वथा मौलिक रचना को जन्म दे, जीवन के विभिन्न विद्या का यह सुन्दर सन्दर्भ ग्रन्य विषय-सामग्री की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012001
Book TitleTirthankar Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherJivaji Vishwavidyalaya Gwalior
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy