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________________ के लाभ के कार्यों में अपना काफी समय दिया । इनके काल में क्षेत्र के सर्वांगीण विकास की ओर काफी ध्यान दिया गया। आपने सभी धर्मों को प्रगति का समुचित अवसर दिया । वे स्वयं सभी धर्मों के विशेष उत्सवों में भाग लेते थे । इनके शासनकाल में अनेकों जैन मन्दिरों का निर्माण कार्य संपन्न हुआ । सन् 1903 में मामा के बाजार में एक और जैन मन्दिर का निर्माण कराया गया, जो बड़ा मन्दिर मामा के बाजार के नाम से जाना जाता है । माधवराव सिंधिया के काल में राज्य में अनेकों विकास कार्यक्रम संचालित हुए। इस बीच सम्पूर्ण देश में कांग्रेस और महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वाधीनता आन्दोलन की लहर ने देशी राज्यों में भी जन जागृति को प्रोत्साहित किया | ग्वालियर भी इससे अछूता न रहा । गांधीजी के विचारों में अहिंसा की प्रधानता ने जैनों को सर्वाधिक कियत किया। ग्वालियर में 1917 ई. में श्री श्यामलाल पाण्डवीय ने ग्वालियर राज्य में "गस्प पत्रिका" के नाम से सर्वप्रथम समाचार-पत्र प्रकाशित कर पत्रकारिता के माध्यम से राजनीति में प्रवेश किया। अपने उग्र विचारों के कारण वे कई बार दण्डित हुए व Jain Education International जेलयात्रा भी की। 30 अप्रैल 1938 को विदिशा के प्रसिद्ध अभिभाषक श्री तख्तमल जैन के सद्प्रयत्नों से ग्वालियर में सार्वजनिक सभा की स्थापना हुई जो बाद में ग्वालियर स्टेट कांग्रेस में परिवर्तित हो गई। इसी क्रम में समाजवादी विचारधारा के श्री भीकमचन्द जैन ने भी राजनीतिक एवं जन-जागरण आन्दोलनों में एवं गतिविधियों में सक्रिय एवं उल्लेखनीय भाग लिया। इनके अतिरिक्त अन्य कई जैन धर्मावलंबियों ने भी ग्वालियर के राजनीतिक एवं सांस्कृतिक विकास में गतिशील योगदान दिया। इस प्रकार ग्वालियर के सांस्कृतिक विकास में जैनों अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह को है। ग्वालियर के इतिहास, साहित्य एवं पुरातत्व का एक बड़ा भाग जैनों से प्रभावित रहा है । आज इस सम्बन्ध में जो भी साहित्यादि प्रमाण उपलब्ध हैं, उनकी रक्षा में भी जैनों ने अत्याधिक महत्वपूर्ण योग दिया है, उनके इस गुण के कारण सुरक्षित साधनों ने ही आज ग्वालियर के इति हास के उपलब्ध ज्ञान को उजागर किया है, तथापि आज भी इसके बहुत से पक्ष लुप्त हैं, जिन्हें उजागर करने को पर्याप्त शोध की आवश्यकता है । ६६० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012001
Book TitleTirthankar Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherJivaji Vishwavidyalaya Gwalior
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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