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इसकी पुष्टि हेतु प्रचुर मात्रा में पर्याप्त ऐतिहासिक में जैन संस्कृति, पुरातत्व एवं प्राचीन साहित्य से सामग्री भी उपलब्ध है, परन्तु यह बड़े ही खेद का सम्बन्धित इतना विशाल भण्डार उपलब्ध है कि उसके प्रसंग है कि जैन संस्कृति के पोषकों ने जहाँ सैकड़ों वर्षों संग्रह से एक राष्ट्रीय स्तर का विशाल संग्रहालय निर्मित तक अपनी इस प्राचीन सांस्कृतिक सम्पदा का संरक्षण एवं किया जा सकता है। साथ ही उसके सम्बन्ध में शोधसम्वर्द्धन किया वहाँ वे अब इस पर अधिक ध्यान नहीं कार्य को प्रोत्साहित करने के लिये एक नियमित शोध दे रहे हैं। आज प्राचीन सम्पदा के संरक्षण एवं उसके संस्थान चलाया जा सकता है। महावीर निर्वाण संग्रहीकरण की नितान्त आवश्यकता है जिसकी पूर्ति महोत्सव के 2500वें वर्ष में इस दिशा में रुचि रखने
ही की जाना चाहिये । साथ ही इस दिशा में वाले कुछ लोग आगे आएँ तो इस क्षेत्र की प्राचीन पर्याप्त शोध की भी आवश्यकता है ताकि इस संस्कृति संस्कृति को उजागर करने की दिशा में महत्वपूर्ण एव क्षेत्र के प्राचीन एवं गौरवमयी पक्ष को उजागर सहयोग तथा भारतीय संस्कृति के विशाल ज्ञान भण्डार किया जा सके । ग्वालियर और इसके निकटवर्ती क्षेत्र को महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर सकते हैं।
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