________________
मूल पाठस्य शुद्धि पत्रम् ,
TOM
[प्रथम श्रुत स्कंध]
कलम
पंक्ति
अशुद्धं
शंद्ध
।
अप्पेगे उरु
५
cc
अप्पगे ऊरू को वीरे हिं लञ्जमाणा कयबर
0
0
वीरेहि लज्जमाणा कयवर
0
एग
मेत्ति
0
0
10
।
मत्ति लाए सपेहाए जाणि-तु खूज्जतं परिण्णाय कराई अ मोहतरा
संपेहाए जाणित्तु खुज्जतं परिण्णाय, कूराइं अणोहतरा तीरं परियडीत जाणित्तु थो
"
१०१
परियदट्टति जाणि-तु
१०४
१२० । १
थोधं