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अध्ययन पहल अगुसंचरइ, सव्वाओ दिसाओ सवाओ अणुदिसाओ जो आगओ अणुसंचाइ, सोहं । से आयावादी, लोगावादी, कम्मावादी, किरियावादी ।(३) । अकारस्सं च हं, काराविरसं च हं, करओयावि समणुन्ने भविस्सामि; एयावंति सव्वावंति लोगांस कम्मसमारंभा परिजाणियव्या भवंति। (2)
अपरिग्णायकम्मा खलु अयं पुरिसे, जो इमाओ दिसाओ अणुदिसाओवाअगुतंवाइ, सम्घाओदिसाओ सचाओ अणुदिसाओ साहेति, अणेगरूबाओ जोणीओ संधेइ, विरूबरूवे फासे पडिसंबेदेइ । (५) - तत्थ खलु भगवता परिण्णा पवेइया । (६) आवा ज्ञानवालो जे पुरुष होय तेज (खरेखो) आत्मवादी, १ लोकवादी, कर्मवादी, अने क्रियावादी [जाणवो]. (३)
(कर्म बंध हेतु विचार). में कीवं, ? में कराव्यु, २ में वीजा करनारने रुडं मान्Y, ३ हुँ , ४ हुँ कराईछ, ५ हुँ वीजा करनारने रुडं मानुछ, ६ हुं करीश, ७ हुँ करावीगा ८ हुं वीजा करनारने रडं मानीश ९(ए नब भेदोने गन वचन अने काययी २ गणीए तो सात्यावीश भेद थाय) (ए प्रमाणे) एटलान (मात्र) आग लोकमांकमसमारंभ एटले कर्म बांधवाना कारणभूत क्रियाओना बेदे जाणवाना छ. (४)
एनियाओने नहि जाणनार पुरुपज आ दिशामा तथा विदिशाओं अने सर्व दिशाओमा भन्या करें छे, अनेक योनिओमा अपने से, अने अणानता स्पर्श विगेरना दुःखो भोगने छे. (२)
(आ मनांगे भगाने अपरं भोपन बोलीने हुवे पोते मुधर्म न्वागी हने
एनियाली ऐ भगवाने "परिग' (एले शुद्ध सपने) आपली रे. (६) । चादी मानना-अल्लवादी आमा मानना हरीर इजातियां