________________
[२७६ ]
आचारांग - सूळ तथा भाषान्तर
धुवं वेयं जाणेज्जा, अधुवं वा; असणं वा पाणं वा खाइमं वा वा साइमं वा लभिय, णो लभिय; भुंजिय, णो भुंजिय; अदुवा आगते, अदुवा णो आगते; अदुवा एति, अदुवा णो एति; अदुवा एहिति, अदुवाणो हिति; एत्थ आगते, एत्यवि णो आगते; एत्थवि एति, एत्यि णो एति; एत्थवि एहिति, एत्थवि णो एहिति । [ ७६८ ]
अणुवीइ णिाभासी र समियाए संजए भासं भासेजा; तंजहा, एगवयणं, (१) दुवयणं (२) बहुवयणं, (३) इत्थवयणं, (४) पुरिसवयणं, १ साधुना नैव सावधारणं बचो वाच्यं यथा २ सावधारणभाषी.
मुनिने कोइ कं पूछतां (जो पाकी खबर नहि होयतो ) सुनिए एवं नक्की ठेवीने नहि बोलवूं के आ नक्की एमज छे या एम नथीज, अथवा अमुक ing नक्की आहारपाणी लावशे के नहिज लावी शकशे, या त्यां खाइनेज आवशे या नहिज खाइ आवशे, अथवा ते आव्योज छे के नथीज आव्यो, या आवेज छे के नवीन आवतो; या अवशेज के नहि आवो, या अंही आवेलोज छे के नीज आलो, या अहीं आवेज छे के नथीज आवतो, या अंडी आवशेज के नहि आवशे, इत्यादि [ ७६८]
किंतु काम पडतां विचार करीनेज पछी नक्कीयणे, बोलतां सावधान रहीने भाषासमिति साचवीने भाषा बोलवी ते भाषायां वोलाता वाक्योना सोळ भाग रहेला छे, जेओ ओ प्रमाणे छे:
२
૩
एक वचन, द्विवचन बहुवचन, स्त्रीजातिवचन, ४ पुरुषजातिवचन, "नपुंसक जातिवचन, अध्यात्म वाक्य, उत्कर्ष वाक्य,' अपकर्ष सेक्य, उत्पी१ घोडे। २ संस्कृतमां अवौ ३ घोडाओ ४ गाय ५ वळद ६ पर ७ पेटमा होय ते खोली जवानुं वाक्य नेमके "जळ पा" ने बदले " रुपा" ८. रुपवती स्त्री ९ कुरुपवती स्त्री