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________________ अध्ययन दसम... समाणे उग्गहितमेव भोयण जातं जाणेज्जा, तंजहा:-सरावसि वा, डिडिंमांस वा कोसगंसिर वा अहपुण एवं जाणेज्जा-बहुपरियावन्ने पाणिसुउद् गलेवे-तहप्पगारं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा सयं मा नं. जाए जा जाव पडिगाहेजा । पंचमा पिंडेसणा। [३९] अहावरा छठा पिंडसणाः-से भिक्खू वा भिक्खुणी या उग्गहियमेव भोयणजायं जाणेज्जा जंच सयट्टाए पग्गहियं जंच परमाए पगहियं पायपरियावन्नं पाणिपरियावन्नं फासुर्य जार पडिगाहेम्जा । छटा पिंडेसणा। - अहावरा सत्तमा पिंडेसणा; से भिक्ट वा भिक्खुणी वा जाव समाणे उज्झियधम्मियं भोयणजायं जाणेज्जा-जंचन्ने बहवे दुपय-तउ प्पय-समण-माहण-अतिहि-किवण-वणीमगा णावखंति, तहप्पगारं उज्झियधम्मियं भोयणजायं सयं वा णं जाएज्जा परो वा से दिज्जा जाव डिडिमं कांस्यं भाजनं २ मगधप्रसिद्धभाजनविशेष: - प्पाला, थाळी, के कोषक नामना वासणमा खुल्ले घरेलु शेर ने से गृहस्थना हाय परनी भीनाश सूकाह गएली दोय तोल से ग्रहण करई र परिमी पिंटेपणा. छठी पिंडेपणा- मुनि के आयाए जे भोजन गृहस्थ पोता पाटे के बीजाने देवा माटे पात्र के हाथमा उल्लु धारेलुंजे भाजन जणाय तेम से, ५ सही पिंटेपणा. [६४०] ___ सातमी पिंडेपणा-सुनी के आर जे भोगन फेंकी देगा योग्य नणार भने भने पीना मनुष्य के मानररो भयवर तो अपण धामणादिक सेवा न जे
SR No.011502
Book TitleAng 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavjibhai Devraj
PublisherRavjibhai Devraj
Publication Year1906
Total Pages435
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & Conduct
File Size17 MB
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