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॥धचा ॥ णउमहु बुद्धिपरिग्गहु, णउ सुयसंगहु, णउ कासवि केरउ बलु । भणुकिहकरमि कइत्तणु, ण लहमि कित्तणु, जगुजेपिमुणसय संकल ॥३१॥ तं णिसुणेविमरहेवुत्तुताव । भो कहकुलतिलय विमुक्कताव । सिमिसिमिसिमंत किमि भरियरंधु । मेल्लेवि कलेवरु कुणिमगंधु ॥३२॥ ववगयविवेउ मसिकसणकाउ । सुंदरपएस किं रमई काउ । णिक्कारणु दारुणु बद्धरोम् । दुजणु ससहावे लेइ दोसु ॥ ३३ ॥ हयतिमिरणियह वरकरणिहाणु । ण मुहाइ उलयहो उइउ भाणु । जड़ ता किं सो मंडियसराहं, पउ रुच्चइ वियसियसिरिहरह ॥३४॥ को गणई पिसुणु अविसहियतेउ । भुक्कउ छणयंदहो सारमेउ । जिणचरणकमलमत्तिलएण । ता पिउ कव्वपिसल्लाण ॥ ३५ ।।
॥ पत्ता ॥ णउ हउँ होमि वियक्खणु, ण मुणमिलक्खणु, छंदु देसि णवि याणमि जाविरइय जयवंदहि, आसिमुगिदहि, सा कहकेम समाणमि ॥ ३६॥ अकलंक, कविल, कणयर मयाई । दियसुगयपुरंदरणयसयाई । दन्तिल विसाहि लद्धारियाई । णउण, यई भरह पियारियाई ॥ ३७॥ णउं पीयइ पायजालिजलाई । अइहासपुराणई जिम्मलाई । भावाहिउ भारहमासु वासु । कोहलु कोमलगिरु कालिदासु ॥ ३८ ॥ चउमुहुँ सयंभु सिरिहरिसु दोणु । णालोइउ फइ ईसाणु वाणु । णउ धाउ ण लिंगुण गुणसमासु । गउ कम्मु करणु किरिया विसेसु ॥३९॥ णउ संधि ण कारउ पयसमत्ति । णउ जाणिय मई एकविविहत्ति । णउ वुझिउ आयमसद्दधामु । सिद्धंतु धवलजयधवलणामु ॥ १० ॥ पडरुद्दड जड णिण्णासयारु । परियच्छिउ णालंकारसारु । पिंगलपत्थारु समुद्दे पडिउ । णकयाइ महारइचित्ते चडिउ ॥ ११॥ जस इंधु सिंधु कल्लोलसित्तु । ण कलाकोसले हियवउ णिहित । हउंवप्प णिरक्खरु कुक्खिमुक्ख । णरवेसें हिंडमि चम्मरुक्ख ॥ १२ ॥ अइ दुग्गमु होइ महापुराणु, कुंडएण मवई को जलविहाण । अमरासुरगुरुयणमणहरेहिं । जंआसि कयउ मुणि गणहरेहिं ॥ १३ ॥ तं हउं कहमि भत्तीभरण । किं णहे ण भमिज्जइ महुअरेण । एहु विणउ पयासिउ सज्जणांह । मुहे मसि कुचउ कउ दुजणांह ॥४॥