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। तन परीक्षक। ॥ लूंण पाय जल संगही। प्रोवे चमक दिखाय ॥ ॥ नष्ट होए झूठातझू । एसों मुक्ता भाय ॥ ॥लेमके रस वीचही। फाफ दय जव कोय । ॥ वेधन में सुख होत है। निश्चा मानो सोय ॥
॥ चौपई॥ ॥ साफ सुोद गोल निकनाई। चमक छेक छोटा मन भाई ॥ ॥ चारों रती दाणा होई । चौपनास रुपए तक साई॥ ॥वित्र आदि छाया जो चार । दमें पर कीमत कम पार ।। । म्यांनी मगज नाम जद होई। आने आट चौकीमत होई॥ ॥ दस रुपए चौतक जोनो । पुरातनकी कीमत कम जानो। ॥ पडदे सातउत्तम पे होई । मगज नाम पांचों सोई॥ ॥ म्यांनी पदो अथवा तोन । ऐसें पडदे समझ प्रवीन । ॥ वनर गरमी सीत विचारो। शीघ्र विगाड होत मन धारी।। ॥ ईसय गोल मिलाय रखावे । नील पत्र में चमक दिखावे ।।
तर मास वर्ष ऋतु मांही। बुवी मार निकालत तांहीं ॥ ॥सान मचाना जल के नी।। रहीत सिप्प सो पत्थर वी॥ ॥ दोइ मिट तक जल में शवासी सिप्प तक हिर ल्यावे ॥ ॥ जाल संग वाले वत सोई। कर्म गतो संग प्रापत होई॥ ॥ क्रांची वंदर घाट विचागे। अति वूका मोती मन पारो॥ । पचास हजार तक टेका होई। सकार अंगरेजी लेवत सोई॥ ॥ कौर मंडल अल जेनिआजांनो।सलोचप नामा घाट पछानो ॥ ॥ मारग रेटा लंका होई। इनका टेका सुनिए सोई॥ ॥ साडे चार लाख मन धारो। पार्स देस का भिन विचारो ॥ । वादशाह पारस को जानो । दोइ लाख तक टेका मानो। ॥ दक्षण वराजलि में होईमरशिदा वाद तलाव में सोई॥ ॥ जहांगीर नगर सेवागंज जानो। सिल हट आदिघाट पळांतो॥