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"स्वदेशी" स्वयं सेवक।
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दिया गया ! इस देश के नूतन और बाल्यावस्था के कारखानों की उन्नति करने के बदले, उनकी वृद्धि को रोकने का यह यन, दुनिया के किसी सभ्य देश में देख न पड़ेगा !! धन्य है बृटिश व्यापार-नीति !!!
"स्वदेशी" स्वयं सेवक।
स्व देशी के यथार्थ और विस्तृत भाव का उल्लेख, इस लेख में,
कई बार किया गया है। जिन जिन बातों से स्वदेश की उन्नति होती है वे सब 'स्वदेशी' ही हैं । यदि इस समय कोई मनुष्य हिंदुस्थान के किसी भाग में जाकर लोगों की बातचीत पर ध्यान दे तो उसे यही देख पड़ेगा कि 'स्वदेशी' का प्रचार खूब जोर से हो रहा है । कहीं सभाएं हो रही हैं; कहीं स्वतंत्र शालाएं और औद्योगिक प्रदर्शनी खोली जा रही हैं। कहीं औद्योगिक और वैज्ञानिक शिक्षा प्राप्त करने के लिये विद्यार्थी विदेशों को भेजे जा रहे हैं। कहीं स्वदेशी दुकानें लगाई जा रही हैं और कहीं नये कारखाने खोले जा रहे हैं । बंगाल-प्रांत के लोग सरकारी अफसरों का जुल्म और उपद्रव सहकर स्वावलम्बन और स्वाभिमान की शिक्षा दे रहे हैं । स्वदेशी वस्तु की कीमत बढ़जाने पर भी सब लोग उसीको खुशी से ले रहे हैं । और एक प्रांत का श्रादमी अन्य प्रांत के श्रादमी के विषय में अपना प्रेम और आदर व्यक्त कर रहा है । सब से अधिक
आश्चर्यकारक बात यह है, कि इंग्लैन्ड के लोग भी, इस समय, हिंदुस्थान के संबंध में विचार कर रहे है । ये सब राष्ट्रीय-जागृति के चिन्ह हैं।
इसमें संदेह नहीं कि, इस समय, स्वदेशी का प्रचार खूब हो रहा है। परंतु डर इस बात का है कि, जिस तरह जंगल की आग थोड़े समय में चारों ओर फैलकर शीघ्रही आपही आप बुझ जाती है, उस तरह यह आन्दोलन भी अल्प समय में ठंडा हो जाय । इस देश का यही हाल है कि जितनी शीघ्रता से कोई आन्दोलन उत्पन्न होता है उतनाही शीघ्रता से वह ठंडा भी