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लखो की योग्यता का अनुमान न करें। यदि इस लेख में कुछ न्यूनता हो-यदि यह लेख किसी काम का न हा--तो यह दोष मूल-लेखों का नहीं, स्वयं मेरा है । और यदि भाग्यवश, इस लेख में कुछ गुण पाये जाँय-यदि यह लेख किसी काम का प्रतीत हो---तो यह समझिये कि यह मूल-लेखों ही का प्रभाव है-- इ५में स्वयं मेरा कुछ भी भाग नहीं है।
इस पुस्तक में जिन विषयों की चर्चा की गई है वे, इस समय, हमारी एकता के लिये अत्यंत हितदायक हैं। आशा है कि हमारे देशभाई, आपस की फूट से बचकर, अपने देश की वर्तमान दशा की ओर केवल ' स्वदेशी' दृष्टि से ध्यान देंगे और अपनी पवित्र जन्मभूमि में एक राष्ट्रीयता-एक जातीयता के बीजारोपण का यत्न करेंगे।
अंत में मैं अपने मित्र डाक्टर लिमये साहब को एकबार और धन्यवाद देता हूं, क्योंकि उन्हींकी आज्ञा और कृपा से मुझे केसरी के परम पवित्र भावों का अनुवाद करने का यह मौका मिला । जिन जिन मित्रों ने मुझे इस कार्य में सहायता दी है वे भी मर हार्दिक धन्यवाद के भागी हैं।
नागपुर, ता. १-८-०६.
माधवराव संघ