________________
431
APPENDIX II हिन्दी सारानुवाद-श्रीमान् महामण्डलेश्वर वीर विक्रमादित्यदेवके महाप्रधान, तत्राधिष्ठायक देवणार्यकी पत्नी (जिसके लेखमें विशेषण दिये गये हैं) ने पार्श्वनाथ भगवानके दो चैत्य (वेदिका) वाले मन्दिरको बनवाकर उस मन्दिरके लिए यह प्रतिमा निर्माण कराकर भेंट की।
आडूगांवमें उपलब्ध एक मूर्तीके पीठपर-कन्नड लिपिमें
(लगभग १२ वी शताब्दि इ.) श्रीमूलसंघसंभवब ...... ग [णाध्यक्ष] ... ... संयमिना षोडश ............ [प्राकृता च सह ] ......
हिन्दी सारानुवाद-श्री मूलसंघ बलात्कारगणके अधिपति (किसी) मुनि ने ....... सोलहवें .....।
राजूरु गांवमें एक पत्थरपर-प्राचीन कन्नडमें-जीर्ण
__ (लगभग १२ वी शताब्दि इ.) श्रीमत्परमगंभीर... ... ... जिनशासनं [1]
... ... तंन माडि ... ... ... पण पोलदोळ ... ... ... माडि बिहरु म १० किसु म २ ......... केळगे गई कम्म ... ... ... नीधर्ममं प्रतिपाळिसिदवर्गे वारणासि कुरुक्षेत्र प्रयागेयेब ... ... ... कटिसि चतुर्वेदशास्त्रपरायणरप्प ब्राह्मणर्गे कोह पुण्यमिदनु लंघिसि किडिसिदवर्गाकळुगळ ना ब्राह्मणरुमनातीर्थगळोळु कोंद पातकमेय्दुगुं ॥ द्विज ... ... दोत्पळवनरजनीकर ... ... जनतुष्टिकरं वृजिन ... ... सुजनाप्रणि ... ... नेने मेचद ......॥[२]
हिन्दी सारानुवाद-जिनशासनकी प्रशंसा । कयी पक्तियां त्रुटित। .... क्षेत्रमें १० मत्तर कृष्यभूमि, २ मत्तर लाल भूमि, नीचे गीली भूमि जिसका प्रमाण ..... कम्म था। जो दान की रक्षा करेगा उसे पुण्य होगा और जो हानि पहुंचा देगा उसे पाप। सुजनोंमें अग्रगण्य मनुष्योंको तुष्ट करनेवाले ...... नीलकमलराशिके लिए चन्द्र के समान ..... कौन प्रशंसा न करेगा?