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दाहिने श्री स्थूखनऊ कोठरी के चरणों पर ।
[200] श्री॥ नमनिधि गज गोत्रा सम्मितायां समायां ( १७९७ ) नयन रस सरत्वाञ्चन्छ युक्तेषु शाके ( १७६५ ) ॥ सित पटधर पाटो फागुने शुक्ल पक्षे जुजगपति तिथौ (५ , मार्गवे वासरे ॥१॥श्री मद्ब्रह्मचर्य धर्म वृद्धर्य श्री स्थूलनाचार्य पादपद्म प्रतिष्ठा बृहत खरतर गणेश श्री जिनहर्ष सरि पद अनाकर श्री जिन महेंज सुरिणा कारिता । श्री हीरधर्म गणि बिनय विछत्कुलका प्रनाकर श्री कुशलचंड गएयुपदेशतः। काशीस्थ श्री संधैः ॥ बदलिया गोत्रीयोत्तम चंसात्मज गुजिवासानिधेन ।
[201] (१)॥ स श्री ५ श्री जिन विमल सूरि पाका । (२)॥ श्री जिन ललित सरि पाऊका।
[202] सं० १७ए वर्षे कार्तिक मासि शुक्ल पके पूर्णिमा तिथौ १५ गुरुशासरे बृहत् खरतर मछे यु० ज० श्री जिनरंग --- ।
[203] ___ सं० १७ए७ वर्षे कार्तिक शुक्ल पक्ष राका तिथौ १५ गुरु वासरे बृहत् खरतर गछे यु जा श्री जिनरंग सरि शाखायां आचार्य श्री (जनचं सूरिणां शिष्य वा० श्री सुमतिनंदन गणिनां पादपने स्थाप्यते वा जुवनचंप्रेण । वा सुमतनन्दन गणिनां चरण कमले नवतः श्रा० श्री जिन चन्द सूरीणां चरण कमजे श्मे नवतः ।
श्री चंदनवाला कोउरी के चरणों पर ।
[ 204] ॥ सं० १७२० प्र० श्री सुजाण विजयाजी पापुका।