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[ 1961 संबत १६७६ वर्षे - ---1 प्रवर्ग---:। श्री खरतर गछे श्री उपाध्याय रत्न सिलक सूरिनां तक शिष्येन श्री सब्धिसेन गणि श्री युगप्रधान श्री जिनचंद शाखायां कास पितं उपदेन -- गुजु -- पाठकस्य --- श्री रमतिखक गणि प्रतिष्ठितं वा लगि मन गणि प्रतिष्ठा कृता ॥ श्री रस्तु श्रीः॥१॥
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मूल नायक ---- राज सनासन धारकं । । । ० गुर्जरे मह - न ति -- गोत्रे -- बेनीदास । तुलसीदास - माणिक - - दास - - कारापितं । श्री--.. स्यां पापुका श्री-- स्य गुरु -- श्री जिन लब्धिसेन सूरि कृता ॥ यस्यां पाउके दृहत् श्री खर तर गणा - यं० जुग - - श्री युगप्रधान - - श्री जिनचं सूरि शाखायां श्री उपाध्याय - श्री रत्नतिलक - - तत्पट्टालङ्कार श्री बाचनाचार्य - सब्धिसेन गणि श्रादेशेन श्री दखचंद -- - याणा वालिडिवा गोत्रे । नैरवन .. - ठार गुजरमलेन - - श्री रत्न तिलक या० ---त गय - करन प्रतिष्ठा पुनमीया --1
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॥ संवत १७०२ वर्षे माइ सुदि १३ दिने सोमपारे श्री जिन कुशल सूरीणा पाउके । महतीयाण चोपड़ा गोत्रे । सङ्गवी तुलसी दास नार्या कल्याची निहालो पुत्र समवी संग्राम सिंह --- गणिनिःप्रतिष्ठिता श्री पावापूरी समस्त श्री सब सदिता श्री रस्तु ।
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॥ सं० । १९१० वर्षे शाके १७७५ माघ शुक्ल र श्री जिनदत्त सूरी सद्गुरुणां श्री जिन धुशत सूरीणां पादन्यासो प्रतिष्ठितं० ज० श्री जिन महें सूरिजिः । का। बा । मो । श्री सिवप्रसाद पुत्र शीतल प्रसादन भेयोर्य मानंदपुरे ॥