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तीर्थ काकंदी और क्षत्रियकुण्ड ।
लखीसराय स्टेशन से ६ कोस पर काकंदी है। नवमा तीर्थंकर श्री सुविधिनाथ जी का चवन-जन्म-दीक्षा और केवल ज्ञान यह चार कल्याणक यहां जये हैं । सुग्रीव राजा रामा रानी के पुत्र थे । मृगशीर वदि ५ जन्म, मृगशीर वदि ६ दीक्षा और कार्तिक सुदी ३ के दिन केवल ज्ञान जया । जैन मुनि धन्ना काकन्दी जी यहीं जये हैं ।
यहां से नव कोस पर खत्रिय कुए आज कल लढवाड़ गांव के नामसे प्रसिद्ध है । विशमां तीर्थंकर श्री महाबीर स्वामी का चवन, जन्म और दीक्षा यह ३ कल्याणक यहां ये हैं ।
मूर्तियों पर ।
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संवत १५०४ वर्षे फागुण सुदि ए महतियाण बंशे मुंकतोड़ गोत्रे । मं० महासी पुत्र स० [देपाल जाय मू० महिणि स्वकुटुंबेन जाता व० मित्र लखमी पुत्र व्य० इंसराज पुत्र - श्री महाबीर बिंवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री खरतर वा० शुजशील गणिनिः ।
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संवत १५०४ फागुण सुदि ए दिने महतियाण बंशे मुंकतोड़ गोत्रे । सं० मं० महादेपाल ज० माहिणि पुत्र मं० सिवाई |
चरण पर ।
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राजपुत्र
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यो नमः । संवत १८२२ बर्षे बैशाख मासे शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथौ श्री सुविधिनाथ जिन वर चरण कमले शुने स्थापिते ॥ श्री काकंदी नगरी जन्म कल्याणक स्थाने श्री संघेन जीर्णोद्धारं कारापितं ॥ १ चिरं नन्दतु तीर्थोयं काकंदी नामको वरः ।