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अचल दासेन पु० उग्रसेन बदमीसेन सूर्यसेन बुद्धिसेनादि युतेन श्री शान्तिनाथ विं का प्रति श्री जिनसुन्दर सरि पट्टे श्री जिनहर्ष सूरिनिः।
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सम्बत १५७१ बर्षे बैशाख सुदि ३ सोमे श्रीमत्परा ॥ ते॥ मिधूज गोत्रे । स० इम न० --- सुश्रावकेण ना जीवादे पु० आनन्द सा० सोदित प्रमुख सहितेन श्री थादिनाथ बिवं कारित प्रतिष्ठितं श्री खरतर गछे ॥ श्री जिनरत्न सूरितिः ॥
झींकारके यंत्रपर।
[1837 सम्बत १७५६ बर्षे बैशाख मासे शुक्लपदे नियो ३ बुधे श्री सिद्धचक्र यंत्र प्रतिष्ठिवं श्री जिन अक्षय सूरि पट्टालङ्कार श्री जिनचंड सुरिनिः जयनगर बास्तव्य श्री मालान्वये जरगड़ गोत्रीय सुश्रावक खुवचन्द तत्पुत्र रोमनराय बृद्धिचन्द खुस्यालचन्द सरूपचन्द मोतीचन्द रूपचन्द सपरिकरण कारित खश्रयायं ॥
स्थान-लागलपुर। श्री वासुपूज्यजी का मन्दिर ( धर्मशालामे )
पाषाणपर।
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॥ शुन सं० वीर गताव्दा २४०५ विक्रम नृपात् १९३६ रा जेष्टमासे वरे शुक्लपक्षे त्रयोदश्यां तिथौ - चम्पा नगयां श्री वासुपूज्यजी पञ्चकल्याणक चूम्युपरि थोश बंशे गड़ गोत्रे बृ। शा। वा। श्री बुधसिंघजी तत्पुत्र श्री प्रतापसिंघस्य चतुर्थ वधूः महताबकुमरी खजव सफल करणार्थ श्छा कृतासिच कालवशात् सं० १९३१ श्रावण कृ०६ दिने कावधर्म प्राप्तस्य मनोरयाय सत्पुत्र राय श्री खदमीपत सिंघजी बहार राय श्री धनपत सिंघजी बहार