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स० वनाकेन जा० सी प्रमुख कुटुम्ब युतेन निज श्रेयसे श्री सम्भवनाथ बिंयं का प्रतिष्ठितं श्री सूरिजिः ॥ माख्यवन ग्रामे ॥
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सं १९३८ श्री मूलसंघे श्री मानिकचन्द देवराज प्रतिष्ठापितं
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सं० १५५१ बर्षे मा० सू० १३ गुरू उकेश बंशे सिंघाड़िया गोत्रे सा० चांपा जा० रा पु० सा० जोला जा० लहिकू पु० सा० पूजा० सा० काजा सा० राजा पु० धना सा० कालू स काजा जा० कुनिगदे इत्यादि परिवृतेन सा० काजाकेन श्री आदिनाथ चतुबिंशति पट्टे का to श्री खरतर गठे श्री जिनसागर सूरि पट्टे श्री जिनसुन्दर सूरि पट्टे श्री पूज्य श्री जि दर्ष सूरिजिः ॥
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संवत १२०१ वर्षे माघ वदि १० शुक्रे श्री प्राग्वाट ज्ञा० बुद्धशाखायां व्य० सदस सु० व्य० समधर जा० बड़धू सुत देमा जार्या हिमाई सुत व्य० तेजा जीवा बर्द्धमान एते प्रतिष्ठापितं श्री निगम प्रजावक श्री श्राणंदसागर सूरिनिः ॥ श्री शान्तिनाथ बिंवं श्री रस्तु श्री पतन नगरे ॥
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संवत १६०३ बर्षे माम्रशिर सुद ३ शुक्रे प्रा० ज्ञा
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संवत १५८५ बर्षे थाषाड़ सुदि ५ सोमे श्री जसवाल ज्ञातीय भाइचणी गोत्रे चोर बेड़ीया शाखायं सं० जता जाय जइतलदे पु० सं० चूहड़ा जाय नूरी सुत ऊधरण चंद्र पाल आत्म श्रेयोर्थं श्री आदिनाथ बिंवं कारितं श्री उपकेश गष्ठे कुक्कदाचार्य सन्ताने प्रति (ष्ठतं श्री श्री श्री सिद्धि सूरिभिः ।
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वास्तव्य
जा० रङ्गावे सावं