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[148] सं १९२० मि । फा० कृष्ण २ बुध--गड़ प्रताप---
. [140] ॥ संवत १९३५ मिति जेष्ठ शुक्ल छीतीया तियो रवीवारे झूगड़ गोत्रे श्री प्रतापसिंहजी तमार्या महताब कुंवर तत्पुत्र राय सबमीपत्तसिंघ बाहाउर तत् सघुनाता राय धनपतसिंप बहाऽर तत्पनी प्राणकुंवर जन्म सफली करणार्थ । जं। युज श्री जिनहंस सूरिजी बिजेराज ॥ ज० श्री आणन्दवहन गणि तत् शिष्य उ० श्री सदालाल गणि प्रतिषिता॥ पूज्याचार्य श्री रतनचन्द सूरि ढुंपक गछे॥श्रीः॥ कल्याणमस्तु ॥ श्री नवपदजी श्री चंपा पूरोजी स्थापिताः॥ श्रीः॥
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श्री वासुपूज्यजी जन्म कल्याणक । सं० १९३५ मिः फाल्गुन कृष्ण ५ तिथौ। ड्रगड़ श्री प्रतापसिंघजी तत्पुत्र राय लबमीपत्तसिंघ बहादुर तत्त्रात्र श्री धनपत्तसिंघ बहादुर कारापितं जंग। यु । प्र० । न। श्री जिनहंस सूरिजी विजैराज्ये ॥ उ० श्री सागरचन्द गणि प्रतिठितं ॥ शुजंयात् ।
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धातुयोंके मूर्तिपर । सं १५० बर्षे ज्ये० सु० - रबी रंगू ना रमाई-- हेमा हापा खापा पु० साहस जा लक्ष्मीरूपिणि पुण्यार्थ श्री चतुर्विशति जिन प्रतिमा श्री नमिनाथ विवं का० प्र० श्री संमेर गळे श्री शांति सूरिनिः ॥श्रीः
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संवत १५२७ वर्षे माघ व १ सोमे प्रा० सं० धारा ना० समषू सुतेन सा वेखा बंधुना