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(१४) अगिन्या पीरिणी नाम्न्या भी धर्मनाप किंवं कारित प्रतिष्ठितं तपा गठे श्री रत्न शेखर सरि पदे भी अमीसागर सूरिभिः॥
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सं १५५१ बर्षे बैशाख बदि६ शुक्र प्राग्वाट झातीय म० पाल्हा पुत्र म पांचा नायी पाइदेल पुत्र मानाथा नार्या श्राप नाथी पुत्र म० विद्याधरेण पु० म० हंसराज हेमराज जीमा पुत्री इंशाणी इत्यादि कुटुंब युतेन श्रेयोर्थ श्री आदिनाथ विंदं कारितं प्रतिष्टितं कृतव पुरा गछे श्री इंजनन्दि सूरिपट्टे श्री सौजाग्य नन्दि सुरिनिः श्री पत्तन वास्तव्यः ॥
[56] सं० १६०० वर्षे ज्येष्ठ सुदि३ शनौ श्री श्रीमास झातीय सा जेग ना० मम्हाई पुत्र सोनाकर जा वा कमलादे पु० सोना वीराकेन श्री पूमिमा पके श्री मुनि रत्न सुरिणामुपदेशेन श्री श्रेयांसनाथ विवं कारित प्रतिष्ठितं श्री संघेन ॥ शुजं जवतु कल्याणमस्तु ।
॥ रौप्यके मूर्तिपर ॥
[56] . संवत १९०३ शाके १७६० प्र । माघ मासे कृष्ण पञ्चम्यां भृगौ वासरे श्री महुदावार वास्तव्य उसवाल ज्ञाती वृद्धशाखायां साह निहासचन्द इंशसिंघ खश्रेयार्थ श्री शांतिनाथ जिन बिंवं कारापितं । खरतर गछे श्री शांतिसागर सरिनिः प्रतिष्ठितं । तप्पा सागर गर्छ।
राय धनपत सिंहजी का घरदेरासर ।
(67) सं० १९५० फा० १०२ बुषे प्रताप सिंहजी उगढ़ भार्या महताब कुंवर अमन पर्च तीर्थीका । छ । सदा लाजेन प्र श्री अमृत चंड सूरि राज्ये सं १९४७ थापाड़ शुक १५ थात्मनः कच्यामार्ष