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सं० १२४५ फाल्गुन सुदि ५ अद्येह श्री महाबीर रथशाला निमित्तं पाल्हिया धीत देव चंड बंधू यशघर भार्या सम्पूर्ण श्राविकया आत्म श्रयार्थं समस्त गोष्ठि प्रत्यक्ष व आत्मीया स्वजन वर्ग समतेन आत्मीय गृहं दत्त ।
इंगरीके चरण पर |
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सं० १२४६ माघ बदि १५ शनिवार दिने श्री मज्जिनभद्रोपाध्याय शिष्यैः श्री कनक मन महत्तर मिश्र कायोत्सर्गः कृतः ।
पाली ।
यह भी मारवाड़का एक प्राचीन स्थान है। यहांके लेख पण्डित रामानन्दजीने संग्रह किया है।
नौलखा मंदिर |
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संवत् १९४४ वैशाख बदि ७ पल्लिका चैत्ये वीर ।
संवत् १९४४ ज्येष्ठ वदि ४ शील
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