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________________ Material for Research [ 301 छपइया:-बारहसय चालीस अधिक नव संवत गइया । चैतमासि गुरुवारि दिवस तमतो वसि भइया ॥ पाए पवर पठाण देस पुरि भया भगाया । राय पिथोरा जाति करिउ दिल्ली कुरवाणा ॥ पणमास दिवस दस सात लहु तेरह घडिय वरिस रतन । गोरी सो साह सहावदी, राजु वरिउ जगमाहि जतन ॥ तीन मास तेरह दिवस दोय वरिस मिलि ताहि । पद्रह घडी वियाण थिति रहे समसदी साहि ॥ वरिस वीस रस मास छह प्रवर घडी सगवीस । सात दिवस जुत जाणि यहु सति कुतवदी ईस ॥ सवइया तीन वरिस पणमास दिवस बाईस गए अह । पद्रह घडी मिलाइ साहि भए मीर मुगल तह ॥ बाबर वसिमइ क धीरु धरि घरा लइ जिनि । तासु हमाउ नंदु राजु दस वरिस किया तिनि ॥ चउमास वरिस तेरह घडी रुद्ध सतित थिति जानिए । इउ कविसु भगवती उच्चरइ जगमति सुजस बखानिये ।। पद्रह सइ रु सतानुवइ जेठि सुकुल थिति वारसि । सेत साहि पुणु गजु लिय प्रगट सूरि अरु जासि ॥५५।। __ + + + तिहि सुत साह सहावदी, राजु करइ घर लोइ । कवि सु भगौती दुउ लवड, पाउ चिराउसु होइ ।।६।। साहिजहान मु प्रकटभुवि न्याय नीति तु तासु । भवन कमल रवि हिरउ पहरु दिन विति जोति प्रकासु ॥६६।। सोलहसइ सग सोहसु सवति जानिए जेठि निजल सिय णसि बुधहु मनि मानिए । अगरवाल जिन भवनि पुरी सिहर दि मली (दिल्ली) परहा कवि सु भगौतीदास मनी राजावली ॥१७॥ ॥ इति राजावलि ॥
SR No.011017
Book TitleJaina Granth Bhandars in Rajasthan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year1967
Total Pages394
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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