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________________ 250 PATTAN CATALOGUE OF MANUSCRIPTO .. Pras'asti of the Donor: ...............णनिचिततनुष्ठकुरः पूर्णपाल: रुक् माता भावसारं जिनपतिगदिते दत्तचित्ता सुधम्र्मे । भार्या भूखवर्यप्रणयरतिगृहं रुक्ष्मिणी............ ...............सुकृती ठकुरो माहवाख्यः ॥ २ ॥ बंधुजनकुमुदविकसनकी ही च दुःखदाहस्य । सूहदेवी कांता तस्याभूञ्चंद्रमूर्तिरिव ॥ ३ ॥ पुत्रस्तयोरस्ति ........... ४११. नेमिनाथचरित्र (प्रा०) by रत्नप्रभसूरि. प. २७७, ३१४१३" Beginning: जयइ निरंजण-निश्चल-निम्मल--निस्सीम-निस्सम-सरूवा । सालोयालोयविलोयलोललीला नवा हि(दि)ट्ठी ॥ पल्लवियपुधरंगो कयभवविक्खंभविब्भमो जयइ । राइमइनेहनडियनट्टावयसेहरो नेमी ॥ जस्स सयमुरगराओ विरेहए आगउ व रक्खाए । सो पासनाहसासयसुहनिहिकलसो जए जयइ ।। विन्भमरहियसमुन्नयसमिसरलासोयतिलयपुन्नागं । भवतत्वतण(?)सिद्धत्थनंदणं सेवह सया वि ॥ उसभाइणो जिणिंदा जयंति जे भरह खित्तउत्तिन्ना । वयववसहकमविसुद्धा सिद्धिखले अक्खया जाया ॥ सइसुक्कपक्खिसेवियपयकमला वसमई हियप्पगुणा । पयडुत्तरंगसंगा तित्थेससरस्सई जयइ ॥ सुकइकए कवरसं घडिमालाए सुद्धरंति छ । फलिहक्खमालाकला सा जयइ सरस्सइदेवी ॥ चडइ सुतुंगचंगे गुरुवंसे कित्तिणट्टिया जस्स । नर-सुर-असुरसहाए स देवसूरी गुरू जयइ । सो कवरसो नधो सिज्झइ कस्सह कइस्स जंमि सुए । सजण-दुजणवत्तं सुवन-दुवमयं होई ॥ तं कथं जं नवं सा भजा जा पइस्स सुहसना । ते सुयणा जे खलयणखलीकया नो खलु खळंति ॥
SR No.011005
Book TitleDescriptive Catalogue of Manuscripts in Jain Bhandars at Patan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchandra B Gandhi
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1937
Total Pages591
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size32 MB
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