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जो हिरदे वैसे नहीं तोइ मति करो खींचाताण हो। केवलियां पर छोड्यो आ है अरिहन्ता री आण हो। उतरती गणी गण तणी कोइ मति करो, मति मुणो सैण हो। संजम पालो सांतरो कोइ पल-पल छिन-छिन रैन हो। अपचन्दा गण स्यूटल कोइ एक, दो, तीन अवनीत हो। साधु त्यांने सरधो मति कोइ मत करो परिचय-प्रीत हो । इत्यादिक नियमे भरयो कोई लेख लिख्यो गुमराज हो। संवत् अठारै गुणसठै कोइ माह सुदि सप्तमी साज हो ।। मर्यादा के महत्व पर कितनी आस्था व्यक्त की गई हैगुरुवर हमको मर्यादा का आधार चाहिए,
उच्च प्राचार चाहिए, सत्य साकार चाहिए, विमल व्यवहार चाहिए,
सदा सुविचार चाहिए। मर्यादा हो जीवन है, मर्यादा जोवन धन है। गण-वन में इसका ही प्राकार चाहिए । मर्यादा चाहे छोटी, जीवन की सही कसौटी। संयम को संयम का व्यापार चाहिए । छूटे तो तन यह छुटे, शासन सम्वन्ध न टूटे। सब में ऐसे ऊंडे सस्कार चाहिए । xxx मर्यादामय जीवन सारो, मर्यादा , रो मान ।
आत्म-नियन्त्रण अरु अनुशासन है शासण री शान ।। आचार्य भिक्षु के प्रति कितनी सजीव शृद्धांजलि अर्पित की गई है
दीपां के लाल दुलारे! . स्वीकार करो श्रद्धांजलियां रे !
जिनमत -- गगन - सितारे ! अहो ! अखिल सघ-अंखियों के तारे !