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________________ प्रश्नों के उत्तर ४.१८ यदि कभी एक-डेढ़ महीने का गर्भ ही गिर जाए तो स्त्री के गर्भाशय से भी लालिमा युक्त तरल पदार्थ का ही प्रस्रवण होता है, किसी ग्रा कार-प्रकार वाले जीव का प्रस्रवण नहीं होता । इसी तरह अण्डे में स्थित तरल पदार्थ को शरीर रूप में परिवर्तित होने में समय लगता है और उससे पहले ही तोड़ने पर उसमें किसी शरीर प्रकार के स्थान में तरल पदार्थ ही मिलेगा । पर इससे उसे निर्जीव नहीं कहा जा सकता। क्योंकि उसी तरल पदार्थ से पक्षी के शरीर का निर्माण होता है । जैसे माता के गर्भ में स्थित तरल पदार्थ से बच्चे का शरीर बनता है और इसी कारण गर्भपात के समय प्रस्रवित तरल पदार्थ प्रस्रवित होने से पूर्व सजीव माना जाता है । उसी तरह अण्डे में स्थित तरल पदार्थ शरीर वनता है । अतः उसे सजीव ही मानना चाहिए । प्रश्न- कुछ अण्डे ऐसे होते हैं कि जिनमें से पक्षी के बच्चे नहीं निकलते । अतः वे तो निर्जीव ही होते हैं, उन के खाने में कोई पाप या दोष नहीं है क्या ? 1 1 " उत्तर- यह तर्क सही नहीं कहा जा सकता । क्योंकि जिस शरीर में से - चाहे वह शरीर अण्डे का हो, पशु का हो, पक्षी का हो या मनुष्य का हो-जीव निकल जाता है, तो फिर वह निर्जीव शरीर अधिक समय तक उसी रूप में नहीं रह पाता । थोड़ी देर के बाद वह सड़ जाता है, विगड़ जाता है, उसमें अनेक कीटाणु पैदा हो जाते हैं, उसमें से दुर्गंध आने लगती है। परन्तु अण्डे की यह स्थिति नहीं होती । वह उसी .. रूप में मौजूद रहता है। फिर हम यह कैसे कह सकते हैं कि उसमें जोव नहीं है ? हो सकता है कि मादा पक्षी द्वारा दिए गए सभी श्रण्डों में से पक्षी न निकले, कुछ अण्डे पक्षी के निकलने के समय से पहले ही मर जाएं और फिर उसमें कुछ न रहे या किसी कारण उसमें ( श्रण्डे में)
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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