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________________ प्रश्नों के उत्तर ४०६ 1 करके ही हम सुख शान्ति से जी सकते हैं । परन्तु उनकी यह वाणो अभी तक सिर्फ कहने तक ही सीमित है । कथनी के अनुरूप चिन्तन एवं आचरण बना हो, ऐसा अभी तक दिखाई नहीं देता और इसका कारण यह है कि वह तामसिक भोजन या मांसाहार उन्हें शस्त्रों की भयानकता को जानते देखते हुए भी उनके समाप्त करने की ओर क़दम नहीं उठाने देता । क्योंकि तामसिक भोजन से विचारों में उत्तेजना जागती है और वह तुरन्त युद्ध का भयावना रूप धारण करने लगती है । इसी उत्तेजक मनोवृत्ति के कारण सभी राजनेता शास्त्रों की भयानकता को जानते हुए भी उनका परित्याग नहीं कर पाते यह मांसाहार का ही कारण है कि उनका विचार संहार को थोर हो अधिक गतिशील है । तो मैं बता रहा था कि भारत ने प्राध्यात्मिक क्षेत्र में प्रगति की है । और इसी के फल स्वरूप भारत ने सत्याग्रह का आविष्कार किया अर्थात् विना खून के बहाए, अहिंसा एवं प्रेम से प्राजादी प्राप्त की, शत्रु के साथ भी मित्रता के संबंध को निभाया श्रीर अब भी निभाए जा रहे हैं। इस तरह शान्ति की इस महाशक्ति का स्रोत भारत में ही वहा है, अन्यत्र नहीं। आज भी विश्व शान्ति की स्थापना के लिए भारत अपना योग दे रहा है। जहां पाश्चात्य वंज्ञानिक एवं राजनेता विश्व को मिटाने के लिए भयानक से भयानक प्राणविक शस्त्र तैयार करने में लगे हैं, वहां भारत विश्व को इस आग से, महा दावानल से बचाने के लिए प्रयत्नशील है और सभी राष्ट्र भारत की इस महाशक्ति की ओर उत्सुकता से देख रहे हैं और इसी शक्ति के कारण वैज्ञानिक विकास में पिछड़े हुए भारत का भी विश्व के सम्पन्न राष्ट्रों के बीच महत्त्वपूर्ण स्थान है, क्या यह भारत के लिए कम गौरव की बात है ? बस, यही भारत का विकास है, जिसे हम - . - .
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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