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________________ ९२३ प्रश्नों के उत्तर... mmmmmmmmmmmrrrrrrrrrrmin ११-पुरोहितरत्न-यह शुभ महूर्त वतलाता है, लक्षण, .. हस्तरेखा, व्यंजन (तिल, मसा आदि), स्वप्न, अंग का फड़कना आदि . सव का शुभाशुभ फल वतलाता है, शान्तिपाठ करता है। ..... - १२-स्त्रीरत्न (श्रीदेवी)-चक्रवर्ती की स्त्री वैताढ्यपर्वत - की उत्तरश्रेणी के स्वामी विद्याधर की पुत्री होती है, कुमारिका के " समान सदा युवति रहती है। इसका देहमान चक्रवर्ती के देहमान से ___ चार अंगुल कम होता है, यह पुत्र प्रसव नहीं करती। . .. . . १३-अश्व-रत्न (कमला-पति घोड़ा)-यह पूंछ से मुख तक . . एक सौ आठ अंगुल लम्बा, खुर से कान तक..८० अंगुल ऊंचा, क्षण .. . भर में अभीष्ट स्थान पर पहुंचा देने वाला और विजयप्रद होता है। - १४-गजरत्न-यह चक्रवर्ती से दुगुना ऊँचा होता है, यह महान सौभाग्यशील, कार्य-दक्ष और अत्यन्त सुन्दर होता है। उक्त : .: अश्व और हाथी. वैताठ्यपर्वत के मूल में उत्पन्न होते हैं। ...... .. चक्रवर्ती की नव निधियाँ - -सर्प-निधि-इससे ग्राम आदि बसाने की तथा सेना .. __ का पड़ाव डालने की सामग्री और विधि प्राप्त होती है। . . . . . २-पण्ड्कविधि-इसमें तोलने और मापने के उपकरण · · होते हैं। . ..... .. ३- पिंगल-निधि-इससे मनुष्यों और पशुओं के सर्वविध . .. आभूषण प्राप्त होते हैं। .. ....... . . ४-सर्वरत्ननिधि-इससे चक्रवर्ती के १४ रत्न और अन्य ... सभी रत्नों तथा जवाहरात की प्राप्ति होती है। ...... ... . ५-महापद्मनिधि-इससे वस्त्रों तथा वस्त्रों के रंगने की सामग्री प्राप्त होती है। ........ ६-कालनिधि-इस से अष्टाँग निमित्त सम्बन्धी, इतिहास- ...
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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