SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 564
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ : प्रश्नों के उत्तर तरह लड़ाते हैं। आपस में उनको लड़ते और मारपीट करते. देख . कर बहुत खुश होते हैं। . . . . . . . . . . . . . . ....... मांसाहारी जीव जव नरक में उत्पन्न होते हैं तो ये परमा- .. धार्मिक देव उनके शरीर का मांस चिमटे से नोंच कर, तेल में तल .. कर या गरम रेत में भून कर उन्हीं को खिलाते हैं। और कहते हैं । . कि तुम्हें मांस-भक्षण करने का बड़ा शौक़ था, अब इसे खायो। जैसे ... तुम्हें दूसरे प्राणियों का मांस प्रिय था, वैसे ही अब इसे ग्रहण करो। जो . लोग मदिरापान के दोष से नरक में उत्पन्न होते हैं, तो उन को ताम्बे, .. सीसे, (रांगे), लोहे आदि का उवला हुआ रस. संडासी से ज़बर्दस्ती .. महफाड कर पिलाते हैं। जो वेश्यागमन और परस्त्रीगमन जनित पाप से नरक में जन्म लेते हैं, तो उन्हें आग में तपा कर लाल, सुर्ख बनाई हुई फौलाद की नारी-प्रतिमा से बलपूर्वक आलिंगन कराते हैं, . ' और कहते हैं कि तुम्हें पर-स्त्री प्यारी लगती थी, तो अब इस से प्यार करो। रोते क्यों हो ? कुमार्ग पर चलने वालों को और असत्य, पापकारी उपदेश देकर दूसरों को पापाचारी बनाने वाले जीवों को धधकते हुए अंगारों पर चलाते है, जो लोग जानवरों और मनुष्यों को उनकी शक्ति से अधिक भार लाद कर तड़पाते हैं, उन से कंकर, पत्थर और कांटों से युक्त रास्ते पर लाखों मन भार वाली गाड़ी खिचवाते हैं, ऊपर से तीखी आर वाले चाबुकों के प्रहार करते हैं ! मूक पशुओं तथा दीनहीन मनुष्यों पर किए गए अत्या. चारों का उन्हें दण्ड देते हैं। माता-पिता अादिः वृद्ध और उप.. कारी जनों को जो सन्ताप देते हैं, उन का हृदय भालों से छेदा जाता है । दग़ावाज़ी करने वालों को ऊंचे पहाड़ों 'से पटका ... . जाता है। इसी प्रकार श्रोत्र, चक्षु, प्राण, रसना और स्पर्शेन्द्रिय - के वश होकर नाना प्रकार के कुकर्म करने वालों को बहुत बुरी । ___ तरह व्यथित एवं परिपीड़ित किया जाता है। कानों में उबलता सीसा ...
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy