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________________ ८७९ प्रश्नों के उत्तर दीजिए | बंगाल सरकार ने लाखों बंगालियों को दाने के कण-कण के लिए तरसाया, उन्हें मृत्यु की भेंट हो जाने दिया, किन्तु सरकारी धान्यराशि को हवा तक नहीं लगने दी, हज़ारों मनः धान्य सड़ कर नष्ट हो गया पर प्रजा के हितार्थ उस का उपयोग नहीं किया गया। क्या किया जाए ? आज की राजनीति की चाल ही ऐसी विचित्र है कि कुछ कहते नहीं बनता, उसके प्रागे स्वार्थपोषण के अलावा अन्य साधक तथा नैतिक तत्त्वों का कोई मूल्य नहीं है । इसी लिए जैन धर्म कहता है कि जब तक स्वार्थपरायणता का वहिष्कार नहीं होता और अहिंसा भगवती का सत्कार नहीं होता तब तक अन्नादि समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। जैन धर्म का विश्वास है. कि "आत्मवत् सर्वभूतेषु" की मंगलमय कामना का यदि प्रत्येक जनमानस में स्रोत प्रवाहित होने लग जाए तो संसार में दुःख ढूंढने पर भी न. मिले और विश्व की सभी समस्याएं एकदम सुलझ जाएं। 3 . .1. अहिंसा - सिद्धान्त विश्व की प्रत्येक समस्या का समाधान करता है, इसके शासन में कोई भी समस्या ग्रसमाहित नहीं रहने पाती । अहिंसा के शासन में युद्ध - भावना तो जीवन का सदा के लिए साथ छोड़ देती है । मानव सच्चा मानव बन जाता है, उसे सभी हिंसक प्रवृत्तियों से घृणा हो जाती है, उसका हृदय सदा दया और करुणा से छलछला उठता है, सम्राट् अशोक को कौन नहीं जानता ? सम्राट् अशोक ने अपनी कलिंग विजय में जब लाख से ऊपर मनुष्यों की मृत्यु का भीषण दृश्य देखा तो उसकी अन्तरात्मा तिलमिला उठी, उसमें अहिंसा के महा प्रकाश का उदय हुआ । जब से अशोक के मन-मन्दिर में अहिंसा भगवती ने आसन जमाया, तभी से उन्होंने जगत भर में अहिंसा, प्रेम, सेवा यादि के उज्जवल भाव उत्पन्न करने में अपना और अपने विशाल साम्राज्य की शक्ति का उपयोग किया । किन्तु ग्राज की बात निराली ही है। हीरोशिमा द्वीप में लाखों जापानियों को मौत
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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