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पन्द्रहवां अध्याय
धाम काशी आपकी जन्म भूमि थी। और आपने युवावस्था में ही दीक्षित . . 'हो कर लगभग ७० वर्ष तक भारत में अहिंसा का प्रचार किया और
१०० वर्ष की आयु में सम्मेतशिखर पर जाकर निर्वाण-मोक्ष प्राप्त किया । आपके पावन उपदेशों की चिरस्मृति के लिए भारत 'सरकार ने सम्मेतशिखर का "पारसनाथ हिल" यह नाम रख दिया है। . .
ऐतिहासिकों का कहना है कि "वुद्ध ने अपने धर्म का मूल पाठ - भगवान्. पार्श्वनाथ. के सन्तानीय साधु की सेवा में रह कर ही सीखा था। . भगवान पार्श्वनाथ का पुण्य जन्म पौष कृष्णा दशमी को हुआ.. ___ था, पौष की कृष्णा दशमी जैन जगत् में एक पुण्य तिथि मानी • जाती हैं। इस तिथि को समस्त जैन जगत् भगवान पार्श्वनाथ का.
जन्म दिवस मनाता है। बड़े समारोह के साथ भगवान् के चरणों . .. . में श्रद्धाञ्जलियां अर्पित की जाती हैं। सार्वजनिक सभाओं में
भगवान के जीवन पर प्रकाश डाल कर उन के सत्य, अहिंसा सम्बंधी । पुनीत सिद्धान्तों का प्रचार किया जाता है।
.:. . . महावीर-जयन्ती . ... जैन धर्म के चौवीसवें तीर्थंकर, संत्य अहिंसा के अमरदूत, . भगवान महावीर महाराजा सिद्धार्थ के घर में पैदा हुए थे। आप . . . की माता का नाम महारानी त्रिशला था। सिद्धार्थ नरेश के यहां
आप के अवतरण से यश, लक्ष्मी, सौभाग्य प्रादि में वृद्धि हुई थी, . इस लिए आप का जन्म नाम वर्धमान रखा गया था, किंतु आत्मसाधना काल में भीषणातिभीषण, लोम-हर्षक संकटों की छाया तले ज़रा भी विचलित न होने के कारण आप संसार में महावीर के . . . नाम से प्रख्यात हुए।
.. महावीर का मानस प्रारंभ से ही तप, त्याग और वैराग्य