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________________ .. ........... २ना के उत्तर ८२८ प्रश्नों के उत्तर wmmmmmmmmmmrrrrrrrrrrrnmmmmmmmmron ...rrrrr. किया जाता है । इस के अलावा, प्रान्त या नगर अादि के कसाईखाने .. वन्द कराने का पूरा-पूरा प्रयास किया जाता है। अहिंसा के . प्रतीक पुण्य पर्व के दिन हिंसा बन्द रख कर अहिंसा की सर्वतोमुखी: . प्रतिष्ठा की जाती है। पार्श्व-जयन्ती . . . . . . . : ... . जैन धर्म ने २४ तीर्थकर माने हैं, उन में पहले भगवान् .. ऋषभ देव थे और अन्तिम भगवान् महावीर । भगवान महावीर से अढाई सौ वर्ष पूर्व २३वें तीर्थकर भगवान् पार्श्व नाथ थे । जैन साहित्य में जो स्थान भगवान् महावीर का है, वही स्थान भगवान पार्श्व नाथ का है । भगवान् महावीर की तरह. भगवान् पार्श्व नाथ भी अपने युग के तीर्थंकर थे, इन्हों ने अपने युग में मानव को मानवता का सत्य समझाया था, इन्सान को भगवान् वनने की कला सिखलाई थी। भगवान् पार्श्व नाथ की. आध्यात्मिक जगत में .. महान प्रतिष्ठा है। भगवान की स्तुति में लिखे गए हजारों स्तोत्र भगवान् की लोकप्रियता तथा इन के प्रति सर्वतोमुखी श्रद्धा तथा - आस्था के समुज्वलन्त उदाहाण हैं। .. अन्तिम कुछ वर्षों से पूर्व भगवान् पार्श्वनाथ को केवल जैन । .. परिवार ही जानते थे, किन्तु अव आज के पुरातत्त्ववेत्ता लोगों ने भी इन्हों को भारत का एक आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक महापुरुष मान लिया है । खुदाई में ऐसे अनेकों तत्त्व मिले हैं, जिन के आधार .. पर भगवान् पार्श्व नाथ का तीर्थकरत्व निर्विवाद रूप से प्रमाणित हो । ... “गया है। . .. . .. भगवान पार्श्वनाथ का जन्म याज से २८०० वर्ष पहले हुआ था। आपने राज परिवार में जन्म लिया था । महाराज अश्वसेन आपके ..पिता थे और माता का नाम वामादेवी था। भारत को विख्यात विद्या
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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