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________________ चतुर्दश अध्याय ६६१ इस को ह्रांस के महागर्त में गिरने से सर्वथा सुरक्षित रखा । महामहिम लोकाशाह के माता, पिता कौन थे ? उन्होंने जन्म लेकर किस भूभाग को पावन किया ? यादि सभी बातों का संक्षिप्त वर्णन नीचे पढ़िए काशाह की जन्मभूमि अरहटवाड़ा नाम का ग्राम था ! विक्रम सम्वत् १४७२ कार्तिक शुक्ला पूर्णिमा के दिन चौधरी गोत्र: के सेठ हेमाभाई प्रोसवाल की पवित्र पति -परायणा भार्या गंगाबाई की कुक्षि से आप का जन्म हुआ था । ग्राप विवाहित थे । सुदर्शना पत्नी का नाम था । ग्रहमदाबाद में ग्राप जवाहरात का काम किया करते थे। आप की प्रतिभा तो विलक्षण थी ही, फलतः तत्कालीन ग्रहमदावाद के बादशाह मुहम्मद ने ग्रापके बुद्धिचातुर्य से प्रभावित.. होकर ग्राप को अपना खजांची बना लिया | आप भी बड़ी प्रामारिकता के साथ अपने कर्त्तव्य का पालन कर रहे थे, परन्तु एक दुर्घटना ने आप के जीवन की दिशा ही बदल डाली । बादशाह के पुत्र ने किसी मतभेद के कारण विष देकर वादशाह को मार डाला. था । संसार की इस विचित्र स्थिति को देखकर आपका मानस काम्प उठा । विरक्ति में ही ग्राप को शान्ति अनुभव होने लगी । अन्त में, ग्राप ने राज्य की नौकरी छोड़ दी और आप ग्रुपने जवाहरात के धन्धे में ही जीवन विताने लगे । . लौकाशाह में जहां ग्रन्य अनेकों गुरण विद्यमान थे, वहां एक गुरण यह भी था कि इन के हस्ताक्षर बड़े सुन्दर थे । जब कभी लिखने बैठ जाते तो इतना सुन्दर और आकर्षक लिखते कि मानों लेखन - कला साकार होकर सामने खड़ी प्रतीत होने लगती । जो भी उसे देखता, वह प्रभावित हुए बिना नहीं रहता था । उन्होंने -
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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