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________________ ६५४. प्रश्नों के उत्तर mammi के वाद जव किसी के सामने यह वात कही जाएंगी तो यह कहेगा .. कि ऐसा हो ही नहीं सकता, यह सर्वथा. असंभव और असंगत है, परन्तु उसके असंभव या असंगत कह देने से तो वह असंभव या असंगत नहीं हो जाएगा। भीम की शक्ति का जिस समय शास्त्रों में वर्णन पढ़ते हैं तो देखते हैं कि भीम हाथियों को प्रकाश में उछाल देता था और उस के उछाले हाथी न जाने., कहां गिरते थे ? पर... याज का मनुष्य इसे भी असंभव और असंगत. मानता है। राम- . मूर्ति ने चलती कार को रोक लिया था । और, वह चलती गाड़ी .. को भी रोकने का साहस रखता था, उस ने अंग्रेजों ...से कहा था . . कि यदि गाड़ी सव के लिए मुफत कर दी जाए तो मैं ऐसा करके भी दिखला सकता हूं, पर अंग्रेजों ने . ऐसा करना स्वीकार नहीं ..... किया, फलतः वह वात - नहीं बनने.. पाई । सौ. वर्षों के पश्चात् यदि किसी के सामने राममूर्ति की वीरता-पूर्ण, यह बात आएगी, तो भी असंभव या असंगतः बतलाया जाएगा। इन सब बातों से फलित होता है कि वर्तमान को देखने का मनुष्य का प्रायः स्वभाव हो गया है, इसलिए वह वर्तमान काल से जो बात मेल नहीं खाती, .:. उस अतीत-कालीन वात को मानने से इन्कार कर देता है। पर .. उस के इन्कार कर देने से वस्तु-स्थिति की हत्या नहीं हो सकती। अतः तीर्थंकरों की शारीरिक अवगाहना के सम्बन्ध में जैन शास्त्रों में जो कुछ लिखा है, वह भी सर्वथा सत्य है, इस में असत्यता की । विचारणा नहीं करनी चाहिए। ..... ... ... .. - रही तीर्थंकरों की आयु की वात, उसके सम्बन्ध में भी इतनी .. ही वात समझनी चाहिए कि आयु का प्रमाण, आजकल की अपेक्षा . प्राचीन काल में बहुत अधिक था । इस का कारण इतना ही है : कि उस समय शरीर में शक्ति ; बहुत होती थी। और आज उस ..
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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