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________________ प्रश्नों के उत्तर. उदाहरणार्थ-पंजाव की भूमि से गुजरात की भूमि में रस और शक्ति कम है। इसलिए पंजाव की वनस्पति खाने वाले पंजावियों के शरीर गुजरातियों की अपेक्षा अधिक बलवान और क़दावर होते हैं और पंजाब से कावुल की भूमि अधिक शक्ति सम्पन्न है, अतः वहां के मेवा आदि वनस्पति भारत की अपेक्षा अधिक शक्ति सम्पन्न होने से वहाँ के पुरुष भी अधिक क़दावर और वल- . वान होते हैं । इस से स्पष्ट हो जाता है, शरीर की लम्बाई, चौड़ाई पर भूमि तथा भूमि-जन्य वनस्पति का भी बड़ा प्रभाव रहता है। : प्राचीन काल में भूमि शक्ति-सम्पन्न होती थी,तो उस से उत्पन्न हुई.. .. वनस्पति भी सबल होती थी, वनस्पति की सबलता से उसे: ग्रहण : .. करने वाले भी सबल होते. थे, किन्तु आज अवसर्पिणी-काल अर्थात् कलियुग के प्रभाव से भूमि की भी वह पहली सी शक्ति नहीं रही, . परिणाम-स्वरूप तजन्य वनस्पति भी सबलं नहीं है और साथ में वनस्पति खाने वाले मनुष्य भी पहले से वलवान और क़दावर.. नहीं रहने पाए हैं। . प्राचीन समय के मनुष्यों में शरीर-बल बहुत होता था, जो ..... कि कलियुग के प्रभाव से आगे-आगे के ज़माने में बराबर घटता चला आया है। यह घटती यहीं तक समाप्त नहीं होगी प्रत्युत और आगे बढ़ेगी। इस समय शरीरों में जो बल दृष्टिगोचर हो.... रहा है, भविष्य में इतना भी नहीं रहेगा, इससे भी कम पड़ जाएगा । ठीक इसी प्रकार शरीर की ऊंचाई के सम्बन्ध में भी.... समझ लेना चाहिए । पहले समय में शरीर की ऊंचाई भी बहुत : बड़ी होती थी, किन्तु घटते-घटते वह भी बहुत कम रह गई है। .. आज किसी के सामने यदि पुराने समय को शरीरगत ऊंचाई. का . . वर्णन करते हैं, तो उसे वह असंगत और असंभव सो प्रतीत होती ...
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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