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प्रश्नों के उत्तर . .
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तथा भोजन प्राप्त करने के साधनों की सात्त्विकता की कमी है। आप . देखते हैं कि एक व्यक्ति किसी का कत्ल करके प्राता है, तो उसका मन कभी शान्त नहीं रहता। यहां तक कि वह शांत एकान्त जंगल में चला जाए, किसी धर्म स्थान में चला जाए, तव भी उसके चित्त को चैन नहीं पड़ता। कारण कि खून से रंगे हाथ तथा जीवन पर पड़े रक्त के छींटे उसे शांत चित्त से चिन्तन नहीं करने देते। इसी तरह दूसरों का शोषण करके प्राप्त किया पंसा तथा दूसरे जोवों के खून, चर्वी एवं
मांस से परिपुष्ट बनाया गया शरोर भी शांति की वंसरी नहीं बजाने . . देता । वह पाप एवं खून उसके मन को सदा-सर्वदा कुरेदता रहता है। . .
इस से स्पष्ट है कि आहार का हमारे मन, विचारों एव जोवन : के साथ घनिष्ठ संबंध रहा हुमा है । आहार हमारे जीवन को शांत, . सरस एवं मधुर भी बना सकता है और कटुं भी बना सकता है। इसो.. लिए आहार-भोजन के अन्दर विवेक रखना बहुत जरूरी है। विकास
को दिशा में गतिशील मानव के लिए भक्षाभक्ष्य का ज्ञान होना आव. ‘यक है। अभक्ष्य एवं तामसिक पदाथों से बचना मानव का, इन्सान .. ___ का पहला कर्त्तव्य है । नब मानव सात्त्विक आहार का परित्याग कर .
देता है तो वह मानवता एव इन्सानियत से कुछ दूर हो जाता है या . - यों कहना चाहिए कि वह प्रकाश से अंधेरे की ओर गति करने लगता: : .. है । मानवता के पथ पर बढ़ने वाले मानव को अभक्ष्य आहार से। . सदा वचना चाहिए... यह विकास की सबसे पहली सीढ़ी है। ..
प्रश्न- मांसाहार क्यों नहीं करना चाहिए ? इसके सेवन से
क्या हानि है? . . . . . . .. .. .. उत्तर- मांस का सेवन करना एक भयंकर पाप है, मांसाहार करने से