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________________ अनगार-धर्म द्वादश अध्याय प्रश्न- मुक्ति की साधना का मार्ग क्या है ? किस तरह के आचरण से आत्मा का विकास होता है ? उक्त साधना-धर्म कितने प्रकार का है ? . . 1 • उत्तर- कर्म से सर्वथा छुटकारा पाना ही मुक्ति है । इस बात को प्रायः सभी वास्तिक माने जाने वाले दर्शनों मे स्वीकार किया है । परन्तु साधना के मार्ग में सभी विचारक एकमत नहीं हैं । कुछ विनारकों का कहना है कि आत्मा के स्वरूप को पहचान लो, तुम्हारी मुक्ति:. हो जायगी, उसे प्राप्त करने के लिए किया कांड व्यर्थ है । इस मत में ज्ञान ही मुक्ति का साधन है । कुछ विचारक क्रिया- कांठ पर जोर देते हैं। उनका कहना है कि तुम वेद-विहित कर्म करते जानो, मुक्ति हो जायगी । मुक्ति केलिए उसके या श्रात्मा के स्वरूप का परिज्ञान प्राप्त करने की कोई आवश्यकता नहीं । रोग से मुक्त होने के लिए यह प्रा मश्यक है कि औषध का सेवन किया जाए, परन्तु यह जरूरी नहीं है. कि उसके स्वरूप को भी जाना जाए | #
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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