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________________ प्रश्नों के उत्तर ४८२ wwwwwwwww चाहिए। अचौर्य व्रत का भली भांति परिपालन करने के लिए ऊपर कुछ ... बातें बताई गई हैं। इस से यह स्पष्ट हो जाता है कि श्रावक को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे चोरी के काम को ज़रा भी प्रो- . त्साहन मिले । जनधर्म की दृष्टि से वे सभी कार्य स्तेय-चोरी में गिने जाते हैं, जिनके द्वारा दूसरे के धन, शक्ति एवं अधिकारों का अपहरण किया जाता है। वैदिक ग्रन्थों में भी कहा है- “जो व्यक्ति अपना पेट भरने के लिए दूसरों के भोजन का अपहरण करता है अर्थात् गरीबों .. को भूखे रखकर, उनका शोषण करके अपने ऐशोराम के साधन जुटाता है। वह समाज एवं राष्ट्र का चोर है और दण्ड पाने के योग्य है-... यावद् भ्रियते जठरं तावत् सत्त्वं हि देहिनाम् । . ... . अधिक योऽभिमन्येत सस्तेनो दण्डमर्हति ॥* . . इस दृष्टि से सोचते हैं तो जो राजा या राजनेता अपनी प्रजा के न्याय प्राप्त राजनैतिक, सामाजिक एवं नागरिक अधिकारों का अपहरण करता है.।' अपने निजी स्वार्थों को पूरा करने के लिए जनता पर आवश्यकता से अधिक टैक्स लगा कर या दूसरे अनंतिक तरीकों से उसका शोषण करता है, जनता की सुख-सुविधा का ख्याल नहीं रखता... है तथा उसकी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है तो वह-राजा या . राजनेता शासक नहीं, शासक के रूप में चोर है, लुटेरा है। .. E. . . . अपने आप को धर्म का ठेकेदार मानने वाले संकीर्ण हृदय वाले . - स्वर्ण लोग अपने जातीय एवं धन के गर्व में हरिजन एवं अन्य साधा-.. ... रण तथा निर्धन लोगों के धार्मिक, सामाजिक एवं मानवीय अधिकारों .. .. का अपहरण करते हैं । तथा वे धर्मनेता या धर्म गुरु जो अपने शिष्यों . nirmirernamainani----- ---- --- ---
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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