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________________ ग्रागार धर्म "एकादश अध्याय प्रश्न- साधना का क्या अर्थ है ? क्या गृहस्थ भी गृहस्थ जीवन में रहते हुए साधना कर सकता है ? । . उत्तर- साधना का अर्थ है- साध्य तक पहुंचने के लिए की जाने ....वाली क्रिया विशेष । जीवन का मूल लक्ष्य है- सिद्धत्व को, निर्वाण ___ को प्राप्त करना । यह साधना दो प्रकार की है- १-सर्वतः और २देशतः। समस्त दोषों एवं प्रारंभ-समारंभ का परित्याग करके संयमी मार्ग पर गति करना, सर्वतः साधना है और एक अंश से दोषों एवं .: आरंभ-समारंभ का परित्याग करना,देशत: साधना है । गृहस्थ जीवन में साधना का दूसरा रूप ही स्वीकार किया जा सकता हैं । क्योंकि श्रावक-गृहस्थ पर पारिवारिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय दायित्व का बोझ होने के कारण वह हिंसादि से दोषों का सर्वथा त्यांग नहीं कर सकता। फिर भी वह सदा दोषों से बचने का प्रयत्न करता है और उसकी अन्तर भावना सदा दोष परित्यागे की रहती है । इसलिए उस की साधना भी जीवन विकास की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण मानी गई है। .: उसे भी मोक्ष मार्ग का पथिक कहा है.। भले ही, अभी उसकी चाल :, धीमी हैं, इस कारण वह तेजी से मार्ग तय नहीं कर पा रहा है। . परन्तु इसमें जरा भी सन्देह नहीं कि उस का मार्ग सही है । क्योंकि A
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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