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________________ DIXI TOSX X X. Com ho poden con los medias . RAREEXX RAKHA-A म परतन्त्र / सो यह युक्ति भी कार्य साधक नहीं है क्योंकि स्वतंत्रता तव जा सकती है जव उस की मूल की शक्ति छीन ली | जाए किन्तु यह तो उसकी दया है जो अज्ञानवश जीव कर्म - करने लगा था किन्तु परमात्मा की शक्ति ने उसे रोक दिया। जस पिता के सामने बालक अज्ञानवश कृप में कूदना चाहता है वा अग्नि में हाथ डालना चाहता है तथा सॉप आदि हिसक जन्तुओं को पकड़ना चाहता है तो क्या आपके / मानने के अनुसार पिता के सामने वालक उक्त क्रियाएँ कर लेवे / और पीछे पिता उस बालक का प्रतिकार करे। इस प्रकार की बुद्धि रखने वाले को पिता मानना आग्रह नहीं तो।। और क्या है ? इसी प्रकार जव परमात्मा के सामने सव कुकृत्य हो रहे हैं और परमात्मा उन्हें देख रहा है फिर सर्व शक्तिमान् परमदयालु कहाता हुआ उन जीवों को उन कुकृत्यों के करने से रोकता नहीं है तो फिर उस परमात्मा से तो वर्तमान समय के राज्यशासन कर्मचारी ही अच्छे हैं, जो कुकर्म होने के समाचार सुनते ही रक्षा करने में कटिवद्ध हो जाते हैं। जैसे राज्यशासन के कर्मचारियों को पता लग गया कि अमुक स्थान पर अमुक समय पर अमुक कुकर्म होने वाला है तो फिर वे बहुत शीघ्र उसकी रक्षा में कटिवद्ध हो जाते हैं वा रक्षा के उपायों का अन्वेषण करते हैं / किन्तु आप का माना हुश्रा सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान् परमात्मा इतना काम भी नहीं कर सकता / इस से स्वत ही सिद्ध है कि उसमें कर्तृत्व गुण है ही नहीं, किन्तु लोगों ने ही उसमें असत् गुण की कल्पना कर रखी है। " HIROIRALAxomxxxsaxxe-RRExamomxxxxxxxxxAARY
SR No.010866
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
Publisher
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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