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उस शरीर को छोडकर फिर अन्य शरीर धारण कर लिया परंतु जीव का नाश किसी प्रकार मे भी नहीं माना जा सकता कारण कि अनादि पदार्थों का नाश नहीं होना
- नीव नित्य है या अनित्य ?
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प्रश्न
उत्तर न किसी अपेक्षा से नित्य भी है और अनित्य भी है प्रश्न -म अपेक्षा का वर्णन कीजिये जिसमे जीव की नित्यता या अनित्यता भली प्रकार से जानो ना सके? उत्तर - नीवद्रव्य की अपेक्षा से जब हम विचार करते हैं तय द्रव्यार्थिक नय के मत मे सिद्ध होता है कि जीवद्राय स्वकीय द्रव्य की अपेक्षा से नित्य है, शाश्वत है, न है तीनों काल में एक रस मय है tितु जब हम क्मों की अपेक्षा स इसकी पयार्यां पर विचार करते है तन निश्चित होता है कि जीव द्रव्य अनित्य है जैसे कि - जन जीव स्वक्मीनुसार चारों गतियों में परिभ्रमण करता है तत्र गतिया की पर्यायों की अपेक्षा से जीव में अनियता आजाती है क्योकि " उप्ताद, व्यय, भौव्य " द्रव्य का लक्षण माना गया है अतएव जब पूर्व पर्याय का नाश होता है तब उत्तर पर्याय का उप्ताद माना जाता है जैसे कि कोई जीव मनुष्य जन्म की पयाय को
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