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________________ ७७ प्रश्न-वे भेट कौन • से हैं। उत्तर -जैसे कि तिर्यग् गति के जीवों की गणनाए एक न्द्रिय जीव से लेकर पचेंद्रिय जीव तक है सो एकेन्द्रिय जीयो के भेद इस प्रकार से वर्णन किये गए हैं जैसे कि पृथ्वी काय के चार भेद् सूक्ष्म १ वादर • पर्याप्त ३ और अपर्याप्त ४ इसी प्रकार अपकाय के जीव तेजो काय ये जीव और वायु काय के जीन के विपय में है जानना चाहिये। परतु वनस्पतिकाय के छ भेद जानना चाहिये कि -सूक्ष्म १ साधारण २ प्रत्येक ३ फिर तीनों प र तीनों अपर्याप्त इस प्रकार वनस्पति काय के छ zar चाहिये। यदि ऐसा कहा जाय कि सूत्म, arter प्रत्येक तथा बादर किसे कहते हैं ? तो इस PAT में कहाजाता है कि उक्त पाचों ही स्थानमा रूप से सर्वत्र व्याप्त होरहे हैं अत: अब स्थान नहीं है जहा पर पाचौ स्थानमा परतु वे केपली भगवान के ष्टि गाना
SR No.010865
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Swarup Library
Publication Year
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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