________________ की पर्वाह न करता हुआ धर्म या समाज सेवा ही अब करता रहूगा / जिनदत्त ---ससे / आपके पवित्र विचारों की मैं अपने पवित्र हृदय से अनुमोदना करता हूँ और साथ ही श्री श्रमण भगवान महावीर स्वामी से प्रार्थना करता हूं कि वे अपनी पवित्र दया से आपकी की हुई प्रतिज्ञाए निर्विघ्न समाप्त कराए अर्थात् आपमे आत्मिक साहस उत्पन्न हो जावे कि जिससे आप अपनी की हुई प्रतिज्ञाए निर्विघ्नता से और सुस पूर्वक पालन कर सकें।