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________________ साथ आमनित न करना चाहिये। क्योंकि जब उनको गाली से सम्बोधित किया जायगा तब उनका भी उसी प्रकार का स्वभाव पड जायगा जिसका । परिणाम अतिम दुम्य प्रद प्रतीत होगा। अर्थात फिर उस पुन वा पुत्री के स्वभाव से परम दुसित मनना पडेगा । पुत्र -पिताजी । जो अपने सम्बन्धी जन हैं उनके साथ ..किस प्रकार का व्यवहार रखना चाहिये । पिता-पुत्र । उनके साथ सद्व्यवहार रखना चाहिये । यदि उन . सम्बन्धीजनों पर कोई विपत्तिकाल उप17स्थित होजाय तो यथाशक्ति और यथा समय उनकी महायता करनी चाहिये। किंतु यह बात ध्यान म अवश्य रक्खी जाय कि सहायता अपनी शक्ती - अनुसार करते हुए फिर उनमें वैमनस्य भार उत्पन्न ___ - न किया जाय। पुत्र -पिताजी ! अपने [गण ] बिरादरी के साथ किम प्रकार यर्तना चाहिये-- । - पिता-पुत्र | गण के साथ परस्पर सहानुभूति के साथ बर्तना पा .. गणवासी किसी भाई पर होगया हो तो उस समय
SR No.010865
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Swarup Library
Publication Year
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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