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लोगों में उम पिता की प्रशमा भी बढ जायगी कि देखो भाई | अमुक पिता अपने पुत्रो को क्सि प्रकार प्रसन्न रसता है और धन प्राप्त करने की सफलता भी उसी को है जो अपने प्यारे पुत्री की माग शीघ्र पूरी कर देता है । अत यही नियम पालन करने के मुख्य हो सके है क्योंकि जन धनाढ्य कुल में उत्पन्न होने पर भी न तो उन वालको को उनकी इच्छानुकूल भोजन ही मिलता है ओर न मुदर वस्त्र तथा आभूषण पहिनने को उपलब्ध होते हैं तो भला फिर धनाढ्य कुल में उन्न होकर उन पालकोंने क्या लाभ प्राप्त किया ?
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पिता-पुत्र तू अभी अनभिज्ञ है । तुझे सबर नहीं कि उक्त कारणों से क्या दोष उत्पन्न होते हैं ।
पुत्र - पिताजी । उक्त नियमा के सेवन करने से क्या २ दोष उत्पन्न होते हैं, मुझे आपही कृपा करके सुनाइये ?
पिता - हे पुन | जब बालको को सदैवकाल मुदर त्रा आभूषणो से विभूषित किया जायगा तब उनमें निम्न लिखित दोष उत्पन होने की सभावना की जा । जैसे कि यदि बालक अत्यन