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विचार प्रत्येक पदार्थ म होना चायि । देखिये -
यदि मानपानादि म रिचार किया जाय तो भय और अभक्ष्य पदार्थों का भली भाति ज्ञान हो जाता है। यदि भक्ष्य पदाथा पर भोजन करते समय विचार किया जाय तय परिमित भोजन करने से रोगों से रियत्ति और ये आरस्य का नाग होता है।
___यदि चरते समय निपार किया जाय तो जीव था तथा ठोररादि से शारीरिक रला भरी प्रकार से हो जाती है। यदि भाषण विचार पूषर दिया जाय तो आम शिकाम और ननना में यश शीप ही पाता है। यदि मापारादि पदाया पर विचार किया जाय तय इन्छा रोध और सारा पदार्य पनिन मरन करने में आते हैं निसस मनी प्रसन्नता और गगा की निवृत्ति होने की समापना की जा सती है।
___ यदि जो पदार्थ रगो वा ठाने वाले पिवर या विचारपूर्वक र या ग्ठाय तय ए तो जीय ग्था दूसरे पदामों का ठीक बने रहना पने में आता है।
असे कि किसीर घृत का पट मिना यनमे रख दिया तब घट के फूटने की सभावना और घृत के भूमि पर गिर जाने की ममावना की जा सकी है।
तथा किसीने पाच के यर्तन यादडी आदि भाजन यि ॥ विचार से गेर दिये (रमे ) तब थे पिर पृट नायो।