SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१ अगुरुलघु नामकर्म कि कहते हैं ? ___जिम कर्म के उद्यमे जीव का शरीर शीशे के गाले के समान न भारी हो और न असंतूल के समान हर का हो । २. परावानिमिर्म किसे कहते हैं ? जिस कर्म के न्य से जीव डे लवानी की ष्टि में भी अजेय मालूम हो । २३ उश्वामनामर्म किम कहते हैं ? जिस कर्म के उदय से बाहरी हवा को शरीर में नासिका द्वारा सींचना (श्वास ) और शरीर के अंदर की हना को नामिम द्वारा बाहर छोडना [उच्छ्वाम ] ये दोनों क्रिया हो उसको श्वामोच्छ्वाम नामर्म कहते हैं । २५ आतापनामकर्म किसे कहते है ? . जिस धर्म के उदय में शरीर आतापरूप हो जैसेसूर्य मडल। २६ उद्योतनामकर्म किसे कहते हैं ? , जिम कर्म में उन्य से उगोन रूप शरीर हो जैसचमडल, नक्षत्रादि । २६ निर्माणनामकर्म किसे कहते हैं। ' जस में के उदयं में अंग और ,उपांग शरीर में अपने २ स्थान पर व्यवस्थित रहें।
SR No.010865
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Swarup Library
Publication Year
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy