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________________ ९७ प्रति शनि पक्ष है उनमें ५ वर्ण यो पड़ते है जैसे कि सुगंध का भाजन है दुगंध उसका ५ रस ५ सस्थान और इसी प्रकार स्पर्श इस प्रकार २३ बोल पडनाते हैं । जिस प्रकार मुग में अक पडते हैं उसी प्रकार दुगंध में भी जानना चाहिये । और आठ स्पशों में १८४ बोर पडते हैं जैसे कि - कोन सर्ग के भाजन में २३ बोल - ५ वर्ग ५ रम ५ सम्यान २ सय ६ स्पर्श । इसी प्रकार आठों स्पर्शो में तेवीस • नोटों की सभावना कर लेनी चाहिये । क्योंकि जब हिनीने कर्क्षश स्पर्श में २३ बोल पाने हों तो उसको केवल का प्रतिपक्ष मृदु स्पर्श ही छोड़ना पडेगा । शेष सर्व सग उनमें पडजावेंगे 4w 1 1 A क्योकि यह नात भली प्रकार से मानी हुई है कि एक स्थान में दो विरोधी गुण ना रह सके । ' 4 मो इस प्रकार १०० नोल संस्थानों में १०० वर्णों में १०० रसों में ४६ गधों में १८४ मोल स्पर्शो मे सर्वम्पी अनी तर ५३० भेद हुए । और पूर्व ३० भेट अरूपी तत्व के लिये जा चुके हैं सो सर्व भेट अजीव तत्व के Ay ५ ६० हुए । ₹ यह केवल व्यवहार नय के आश्रित होकर मुख्य भेद वर्णन किये गए है feतु उत्तर भेद तो इसके असख्य वा अनत हो जाते हैं । किंतु
SR No.010865
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Swarup Library
Publication Year
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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