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मत्पर शान कैसा होता है। यह प्रति निर्मल और
विशद तारे केवमास्मा पर ही इसकी निर्भरतो है इन्द्रियों की सहायता की यह ज्ञान इच्छा नहीं रखवा इसी लिए ! इस ज्ञान को प्रतीन्द्रिय ज्ञान भी कहते है बाना वरणीय १ दर्शना वर. णीय २ कर्मों के क्षयम
इसकी उत्पत्ति मानी जाती है। परोक्ष शान किसे कहते हैं। जो इन्द्रियादि के सहारे
से प्रादुर्भूत हो और फिर मात्मा द्वारा उस का प्रमाण
सहि निर्णय किया जाए। परोक्ष ज्ञान के कितने भेदरें पांच-५ वे कौन २ से हैं।
स्मृति, प्रत्यभिज्ञान, तर्क, अनुमान, मौर भागम । (शास्त्र)