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(a )) प, पौरन नदीम की सपमा पाबारे जीवन दयाग्नि समान सम्पकाल का भोग शरमा के मेपों की बाया सरण है, मित्र, न, काम, मुस्पपर्ग, सम्मम्मी ममादि सर्षे सम सम्परे।
रेपो । दारा, पुन, पाम्पम, भ्रातादि प्रमुख सप अपन २ स्वार्थ के साथी "भौर सीरिख राने को जीत पुस्प + समय कोई भी साप नही बाता, नम पुरुप पीछे एसीपन से अपम सम्प पिपों का पाचन पापण हरवे , मानन्द स शप भापु को म्पतील रत रे, मोर पस सतक पुरुप का स्मरण भी नही रस, इसलिए ।
गमन् । रुवन दाग, म्यादि में म्पर्य सपना नरमा नारिए दलिय संसार की मी सापनीय एमालभरपन्त शाकरिव पून प्रपन मुवा पिता हा पर म गार परमर, इसी मार पिया मी मा सनी पवा दुमा मुबर को रमगाम भूमिका में समार मार एसा दावा, पाम्पर, पन्यु का, मृम्प संसार मा है।