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होता.२ दोषी करने के वास्ते पतिार पियदि (वप ) चारित्र करा गया है ३ सचम पापम्प सपम संपराय पारिग पन किया गया है। मिस मगर पता है पसी प्रकार रखा है उसे दो यपाल्पाव पारित कावेरे ५ इन पारियों का पूर्ण पृताम्य विकार मिव मादि सूत्रों से भाग खेना पारिप।
पाप में पारिभ का भर्प मापरण करना हो। मा भप बफ भोप एमाधरण नहीं करवा तप तक समार्ग में नहीं भासवा सापार शम्न पी इसी पर्याय का पापी है।
किन्तु पारिष दो प्रकार से प्रतिपादन रिया नपारे जैसे गि-द्रव्य पारिष और पाप पारिप-द्रम्प चालिसे एय स प पौद्धविर मुख परम्प होभावे रे माप पारिन से मोन की माक्षिोमाची रेपित पायों पारोमादि सामायिक पारिषदीपोंकिमा सारप ( पाप मप) यांगों का स्पाम किया गया है। वर रचरापर गणे की प्रापिधरूप पम्प पारिनों का वर्णन किरा भाव इस खिए ! सापावित पारिश में